Friday, March 16, 2018

Isro vs usa


बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक इकाई अंतरिक्ष कॉरपोरेशन लिमिटेड ने अपने अमरीकी ग्राहकों को से कहा है कि वह किसी भी उपग्रह को लांचिंग के लिए भारत भेजने से पहले अमरीकी दूर संचार नियामक फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (एफसीसी) से अनुमति जरूर हासिल करें। अंतरिक्ष कॉरपोरेशन की ओर से यह स्पष्टीकरण इसरो द्वारा छोड़े गए चार नैनो उपग्रहों पर उठे विवाद के बाद आया है।
दरअसल, इसरो ने पिछले 12 जनवरी को पीएसएलवी सी-40 से कार्टोसैट-2 सहित कुल 31 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था जिसमें अमरीकी कंपनी स्वार्म टेक्नोलॉजी के चार उपग्रह स्पेसबी-1,2,3 एवं 4 शामिल थे। हाल ही में इन चारों उपग्रहों को लेकर यह कहा गया कि अमरीकी अमरीकी दूर संचार नियामक एफसीसी ने इन चारों उपग्रहों को लांच करने की अनुमति नहीं दी थी। बिना अनुमति के इन चारों उपग्रहों को छोड़ा गया और इन्हें अवांछित उपग्रह बताया। चूंकि, इन उपग्रहों का आकार बेहद छोटा है इसलिए वह दूसरे उपग्रहों के लिए खतरा हो सकता है। अमरीकी दूर संचार नियामक ने एक महीने पहले ही कंपनी के आवेदन को रद्द कर दिया था। एफसीसी ही वाणिज्यिक उपग्रहों को विनियमित करने के साथ अंतरिक्षीय खतरे पर नजर रखता है। अंतरिक्ष कॉरपोरेशन ने अपनी सफाई में कहा है कि क्यूब सैट स्पेसबी 1,2,3 और 4 अमरीकी स्टार्ट कंपनी का था जिसे स्पेस फ्लाइट अमरीका के साथ हुए वाणिज्यिक करार के तहत पीएसएलवी सी-40 से छोड़ा गया। चूंकि, इन उपग्रहों का आकार 10 सेमी से भी कम है इसलिए अमरीकी अंतरिक्ष निगरानी नेटवर्क द्वारा इन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो रहा है। एफसीसी ने इसे लांच के लिए प्राधिकृत नहीं किया था। खबर यह भी है कि एफसीसी ने इसी कंपनी के चार अन्य उपग्रहों को भी प्रतिबंधित किया था जिसे रॉकेट लैब के जरिए न्यूजीलैंड से छोड़ा जाना था। अंतरिक्ष कॉरपोरेशन ने यह भी कहा कि वाणिज्यिक लांच सेवाओं के लिए हुए समझौते के मुताबिक किसी भी अंतरिक्ष मिशन के लिए तमाम आवश्यक मंजूरी हासिल करना ग्राहक की जिम्मेदारी है। चूंकि यह एक अंतरराष्ट्रीय विषय है इसलिए अंतरिक्ष कॉरपोरेशन ने अपने अमरीकी ग्राहकों से कहा है कि किसी भी उपग्रह को लांच करने के लिए भारत भेजने से पहले एफसीसी से अनुमति निश्चित तौर पर लें।

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